भारतीय कृषि अनुसंधान ने की बायो-डी कम्पोजर तकनीक विकसित
न्यूज ब्यूरो : खेतों में सूखी घास को जलाने से होने वाले प्रदूषण की रोक थाम के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने बायो-डी कम्पोजर तकनीक विकसित की है। इस तकनीक का जाएजा लेने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा का दौरा करेंगे।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने खेतों में ही सूखे घास से खाद बनाने की तकनीक विकसित की है। इससे दिल्ली में सर्दियों के दिनों में आस पास के राज्यों में खेतों में सूखे घास को जलाने से धुएं की वजह से होने वाले प्रदूषण में राहत मिलेगी। इस बायो-डी कम्पोजर तकनीक से सूखी घास व अन्य फसल अवशेष को जलाने की समस्या से भी निजात मिलेगी।
यह तकनीक पूसा डी कम्पोजर कही जाती है। फसल के अवशेष वाले खेतों में इस तकनीक के अंतर्गत छिड़काव किया जाता है। जिससे आठ- दस दिनों में ही फसल अवशेष का खाद के रुप में विघटन हो जाता है और केवल 20 रुपये एकड़ की लागत से 4-5 टन भूसे का निस्तारण किया जा सकता है।
इस तकनीक से फसल अवशेष को जलाने की आवश्यकता कम करने के साथ ही खाद की खपत भी कम हो जायेगी एवं मिट्टी में कृषि उत्पादन क्षमता बढ़ने से इसका फायदा मिलेगा। पंजाब एवं हरियाणा में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा किये गये शोध में बहुत ही सकारात्मक प्रमाण आये हैं।