चौसठ योगिनी मंदिर; जिसके आधार पर बना है संसद भवन।
न्यूज ब्यूरो; भारत धर्म और अध्यात्म का देश है।भारत में विभिन्न धर्मों के अनुयायी रहते हैं।भारत भूमि बहुत ही पवित्र और पावन है।हिन्दू धर्म के अनुसार यहाँ माना जाता है कि इस धरती पर ईश्वर ने साक्षात् अवतार लिया है इसलिए उनके रूप रंग को मन में धारण कर उनकी छवि की पूजा की जाती है।भारत में मूर्ति पूजा के उपासकों की संख्या बहुत ज्यादा है। देश में धर्म और ज्योतिष की बड़ी महत्ता है और इस महत्ता में तंत्र विद्या का महत्वपूर्ण स्थान है।
आज हम आपको एक ऐसे मंदिर से रूबरू करवायेंगे जिसकी बनावट के आधार पर संसद भवन का निर्माण किया गया था।यह मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के मितावली में स्थित है। इस मंदिर को चौसठ योगिनी मंदिर या इकत्तरेश्वर मंदिर कहते हैं। यह उन चार चौसठ योगिनी मंदिरों में से एक है जो अपनी तंत्र विद्या के लिए बहुत प्रसिद्ध था।प्राचीन समय में यह तांत्रिक साधना का विश्वविद्यालय माना जाता था।
वास्तु कला का अनुपम उदाहरण यह मंदिर सन् 1323 में कच्छप क्षत्रिय राजा देवपाल द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर गोलाकार पथ पर बना हुआ है।इस मंदिर में 64 कमरे हैं और प्रत्येक कमरे में एक एक शिवलिंग विराजमान हैं मंदिर के बीच में भी एक खुला प्रांगण है जिसमें भी एक विशाल शिवलिंग प्रतिष्ठित है। हर कमरे में शिवलिंग के साथ शक्ति स्वरूपा योगिनी देवी की मूर्तियाँ विराजमान हैं।इसलिए इस मंदिर का नाम चौसठ योगिनी मंदिर है, इस मंदिर में शिवलिंगों की संख्या इकत्तर है इसलिए इसे इकत्तरेश्वर मंदिर भी कहा जाता है।यह मंदिर 101 खंभों पर टिका हुआ है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 200 सीढियां चढ़नी पड़ती हैं। भारतीय पुरातत्व विभाग ने इस प्राचीन धरोहर को ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया है।
यह मंदिर अपने सम्रद्ध काल में तंत्र क्रियाओं का सबसे बड़ा और सबसे उपयुक्त स्थान था। स्थानीय निवासी बताते हैं कि इस मंदिर में भगवान शिव और माँ महाकाली की साधना करके चौसठ योगिनियों को जागृत किया जाता था।स्थानीय लोग आज भी यहाँ न रुकने की सलाह देते हैं। आज भी कई तांत्रिक यहाँ अपनी तंत्र क्रियाओं की पूर्ति के लिए आते हैं।
कैसे पहुंचे; आपको यहाँ पहुँचने के लिए मुरैना और ग्वालियर से बस और टैक्सी आसानी से मिल जायेंगी।यह मुरैना से मात्र 25 KM और ग्वालियर से 55 KM दूर है।