मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली

ईद के जश्न को ले कर यूपी में दारुल उलूम देवबंद ने किया फ़तवा जारी: ईद की नमाज के लिए नये कपडे जरुरी नहीं और गले मिलाने से भी बचना चाहिए

देश में हाल के दिनों में कोरोना के मामलों में काफी बढ़ौतरी हुई है , जिसको देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है की , 17 मई के बाद भी लॉकडाउन के बाद भी लॉकडाउन को आगे और बढ़ाया जा सकता है कुछ जिलों में जंहा कोरोना के केस अभी तक आ रहे है, 17 मई के बाद भी यदि लॉकडाउन बढ़ाता है तो इस बात का धयान रखते हुए देवबंद ने फतवा जारी किया है , यूपी में ईद की नमाज के लिए दारुल उलूम देवबंद की तरफ से आज फतवा जारी किया , फतवे के अनुशार ईद में नए कपडे जरुरी नहीं जो आपके पास है उनको इश्तेमाल कर सकते हे , यह फतवा मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने जारी किया है ,
दारुल उलूम देवबंद की तरफ से सोमवार को जारी किए गए फतवे में कहा गया कि ईद के लिए नए कपड़े जरूरी नहीं, जो आपके पास में हैं उन्हीं का इस्तेमाल करें. यह फतवा मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने जारी किया है. इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने फतवे में आगे कहा कि लॉकडाउन बढ़ने और मस्जिदों को परमिशन ना मिलने पर वर्तमान व्यवस्था लागू रहेगी. इमाम मोअज्जम के अलावा जो तीन लोग नमाज वर्तमान में पढ़ रहे हैं, वही लोग ईद और अलविदा की नमाज भी पढ़ेंगे.
महली ने फतवे में ईद का जश्न मनाने को लेकर कुछ हिदायतें भी लिखी हैं. फतवे में आगे कहा गया है कि बाकी सभी लोग अपने घरों पर ही नमाज अदा करें. घर के 4 लोगों में एक व्यक्ति इमामत कर नमाज पढ़ ले. ईद की नमाज आपके घर में हो जाएगी. कोई किसी के घर पर मिलने ना जाए, घर पर ही खुशियां मनाएं. ना किसी के गले मिलें, ना हाथ मिलाएं. इसके साथ फरंगी महली ने लोगों से कहा कि ईद की नमाज में अल्लाह से दुआ करें कि कोरोना से मुक्ति दें.
पहले इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद राशिद फरंगी महली ने लॉकडाउन के तीसरे चरण में जरूरी सामान की खरीदारी की इजाजत का स्वागत किया था. इसके साथ ही महली ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांस के व्यापार पर लगी रोक हटाने की मांग की थी. उनका कहना था कि राज्य में मांस को खरीदने और बेचने को लेकर लगाई गई पाबंदी को हटाया जाए.
महली का कहना था कि मांस के कारोबार से आर्थिक फायदा भी होगा. इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया था कि मांस के कारोबार से रोज कमाने और खाने वाली बड़ी आबादी जुड़ी हुई है. उनका ये भी कहना था कि मांस के व्यापार पर लगी रोक की वजह से तमाम व्यापारी बेहद परेशान हैं.

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