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गुजरात के 17 जिलों में फैला जानलेवा त्वचा रोग, अब तक 1,200 से अधिक पशुओं की मौत; ये हैं बीमारी के लक्षण

गुजरात के कुल 33 जिलों में से 17 में अब तक जानलेवा ढेलेदार त्वचा रोग (Lumpy Skin Disease In Cattle,) से 1,200 से अधिक मवेशियों की मौत हो चुकी है। अधिकारियों ने रविवार को बताया कि हालात को देखते हुए राज्य सरकार ने पशु मेलों पर प्रतिबंध लगाते हुए सर्वे, उपचार और टीकाकरण को तेज कर दिया है।

राज्य के कृषि और पशुपालन मंत्री राघवजी पटेल ने कहा कि वायरल बीमारी के कारण शनिवार तक 1,240 से अधिक मवेशियों की मौत हो चुकी है और इससे बचाव के लिए 5.74 लाख से अधिक पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि वायरल संक्रमण राज्य के 33 में से 17 जिलों में फैल गया है और उनमें से ज्यादातर सौराष्ट्र क्षेत्र में हैं।

ये जिले हैं प्रभावित

उन्होंने कहा कि प्रभावित जिलों में कच्छ, जामनगर, देवभूमि द्वारका, राजकोट, पोरबंदर, मोरबी, सुरेंद्रनगर, अमरेली, भावनगर, बोटाद, जूनागढ़, गिर सोमनाथ, बनासकांठा, पाटन, सूरत, अरावली और पंचमहल शामिल हैं।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि तेजी से फैल रही इस वायरल बीमारी को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार ने 26 जुलाई को एक अधिसूचना जारी कर पशु मेलों और मवेशियों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। राजकोट जिला प्रशासन द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार, अन्य राज्यों, जिलों, तालुकों और शहरों से मवेशियों की आवाजाही पर 21 अगस्त तक पशु व्यापार और मेलों आदि पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्रशासन ने मृत मवेशियों के शवों को खुले में फेंकने पर भी रोक लगा दी है।

कांग्रेस ने की किसानों के लिए मुआवजे की मांग

मंत्री ने कहा कि प्रभावित जिलों के 1,746 गांवों में 50,328 प्रभावित मवेशियों का इलाज किया गया है। हालांकि, इस बीच विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार पर बीमारी के सटीक आंकड़े का खुलासा नहीं करने का आरोप लगाया है और अपने मवेशियों को खोने वाले किसानों को मुआवजा देने की मांग की है।

एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, रोग पर नियंत्रण और निगरानी के लिए प्रत्येक प्रभावित जिले में कलेक्टरों की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया जाएगा। इन कमेटियों में स्थानीय प्रशासन के अधिकारी और जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघों के अध्यक्ष शामिल होंगे।

डॉक्टरों की टीमें इलाज में जुटीं

पटेल ने कहा कि कम से कम 192 पशु चिकित्सा अधिकारी और 568 पशुधन निरीक्षक प्रभावित जिलों में गहन सर्वे, उपचार और टीकाकरण कार्य में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा प्रत्येक 10 गांवों के लिए एक मोबाइल पशु चिकित्सा वाहन के साथ 298 आउटसोर्स पशु चिकित्सकों को इस उद्देश्य के लिए तैनात किया गया है।

कच्छ, जामनगर, देवभूमि द्वारका और बनासकांठा जिलों में सरकारी पशु चिकित्सा महाविद्यालयों से जुड़े 107 सदस्यों को युद्ध स्तर पर इलाज और टीकाकरण कार्य करने के लिए तैनात किया गया है।

ये हैं बीमारी के लक्षण

ढेलेदार त्वचा रोग एक वायरल संक्रमण है जो मच्छरों, मक्खियों, जूँ, ततैया आदि या सीधे संपर्क, दूषित भोजन और पानी से फैलता है। इसके मुख्य लक्षण पशुओं में सामान्य बुखार, आंखों और नाक से स्राव, अधिक लार, शरीर पर गांठ जैसे नरम छाले, दूध उत्पादन में कमी, खाने में कठिनाई है, जो कभी-कभी जानवरों में मृत्यु का कारण बन सकता है। 

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